रविवार, 5 अक्तूबर 2008

भारतवाद यां आतंकवाद . फैसला आप के हाथ?......

भारत आज इतने हिस्सों में बट गया है की उसके हिस्से में शायद रहा ही नही .... ये सारी हमरी ही अहंकारी , अहमअम्कारी सोच का ही नतीजा है , जो हमारी ही बनाई हुई है । हम कहीं हिंदू - मुस्लमान के नाम पर बटे है, कहीं जातीवाद ,कहीं छेत्रवाद , कहीं कुनबा , कही बिरादर ,और नजाने कितने हिस्से कर दिए है इस के जिस पर आतंकवाद जब चाहता हिया मोत का तांडव कर के चला जाता है । ये असे सोचो banne की कोशिश कर रहा है ।ये तये करता है की हमें कहाँ जाना है कहाँ नही , ये तये करता है की हमें कितना जीना है और कब मरना है ,आतंकवाद तये करता है की हमें इस धमाके मै क्या खोना है , माँ बाप , भाई बहन , दोस्त यार , या पूरा का पूरा परिवार खोना होगा । आकिर उसे ये हक़ किसने दिया जो ये हमारा मुस्तकबिल तये करता है . खुदा ने ,परामेश्वर ने या फिर हम ने . ;?


एसे वकत हमें जरुरत है एक हो कर इससे लड़ने की लेकिन एसे वकत भी चंद टुच्चे सियासतदार हमें एक होने देना ही नहीं सहते कोई धरम के ठेकेदार बने बेठाहै , कोई जात का कोई बाशा , बोली का राग अलाप रहा है . मराठी का महारास्ट , असमियो का असम, गुजराती का गुजरात , सब का सब तो भारत का क्या ?
जवाब यही है की आज २८ राज्य संग मै है कल जंग मै होगे ।ना महारास्ट , ना असम, ना गुजरात , ना बंगाल और नहीं भारत जीतेगा . हारेगा हर भारती जो १९४७ मै ६२ मै ७१मै ९९ मै जीता था .




आज इस धर्म , जातीवाद , भाषावाद, छेत्रवाद के राजनेतिक खेल ने भारतवाद को छुपा दिया है . हमें फिर से लाना होगा वही भारतवाद जिसने हमें आजादी दिलाई थी .याद रखो यतो भारतवाद लाना होगा या फिर आतंकवाद को बाप बनाना होगा ,इसके सिवा कोई बिच का रास्ता नहीं . फैसला आप के हाथ मै है ????????