रविवार, 27 जुलाई 2008

कब तक चालता रहेगा ये आतंकी खेल ...

गददी और गाड्डी के खेल की चर्चा अभी ख़त्म भी नही हुई थी की जमी ऐ हिन् मासूमो के खून से सुर्ख हो गई , निशाने पर था बेंगलुरु १५ मिनट ९ धमाके और सदियों का मातम बेंगलुरु की चिताओ की आग अभी बुजी भी नही थी की अहमदाबाद में फ़िर चिताए सजाने लगी फ़िर रुदन और मातम छ गया । चाँद लम्हे में शहर का नक्षा ही बदल गया । उस रात का आखरी धमाका अपने परिजनों के लिए विलाप करते लोगो की चीख और आसुओ को ख़त्म करने के लिए हुए । ये पहला मोका था जब दमको का आखरी निशाना अस्पताल को बनाया गया । मकसद साफ था जो दो शर शर शर २९ धमके दो वह भी ख़त्म । सरकारभी सकरी हुई और तुंरत चिता पर चिंता जताते हुए रहत राशिः की घोषणा की , पर क्या ये रहत राशिः किसी को रहत दी पाए गी ? दो दिन do shahar


दो दिन दो शहर २९ धमाके , मरने मारने वालो का कुछ पता नहीं । इस सिलसिले वार धमाको ने एक बार फिर खुफिया तंत्र को कटघरे मै लाकर खडा कर दिया है । पहले मेल फिर धमकी भरा फोन .... बचा सकते हो तो बचा लो , अब यहाँ धमाका होगा . फिर भी नहीं रुक सका मोंत का तांडव . आकिर हमारा खुफिया तंत्र नहीं भाप पता है , और इन दहशत गर्द तन्जिमो का मन बढता जा रहा है तभी तो वो जहा चाहे वाह ये आतंक का खेल, खेल जाते है चाहे सड़क हो या संसद .और हमारे हात या तो लाश को उठाने या आसुओ का पोषने के लिए है उत पाते है . अरबो रुपया खुफिया तंत्र अपने मुखबिरों पर मिटाता है जिसका कोई हिसाब नहीं फिर भी किसी बड़ी घटना को रोकने मै हमारा खुफिया तंत्र दीन हीन है . आकिर हम कब तक ऐसे तंत्र के सहारे अपनी जन को गिरवी रखते रहेगे .?


ये हमारा दुर्भाग्य ही है की हमरे राज नेता ऐसे वकत मै भी सियासी खेल खेलने से बज नहीं आते . विपछ सत्ता पछ पर आरोप लगता है की आतंकी हमले के लिए सर्कार को पहले ही सचेत कर दिया था . इधर केंद्र ने राज्य को सूचित कर दिया था ,उधर राज्य केंद्र को निक्कमी बता रही है कुल मिला के वही हुआ जो इन दहशतगर्दो ने किया . ये तो तू तेरी मै उसकी मै ही उलझे रहे गे
जयपुर, हैदराबाद ,मेलागाव मुंबई ,बनारस ,लखनऊ ,फैजाबाद के आतंक की तप्तिश जारी है कब तक चले गी कुछ पता नहीं ये भी नहीं पता की वे पकडाई मै भी आये गे या नहीं , अगर धोके से हत्थे लग भी जाते है तो भी क्या होगा इस का भी पता नहीं . संसद के दोषी अफजल को फासी मुकरर है पर किसी मै इतनी हिमत नहीं की उसकी फंदे की रस्सी मै गत लगा सके . आकिर हमारे नेता किस दिन का इंतजार कर रहे है की फिर से राजकीय ठाट से दुसरे मुल्क छोड़ के आया जरेगा . और हवाला दिया जाये गा चन चन्द लोगो का जो की हम रोज मर रही है ,कही धमाको से कभी धमाको की खबर सुन कर कभी लिख कर ...........कब थामे गा ये धमाको का खेल ?



















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