रविवार, 27 दिसंबर 2009

पाकिस्तान से आती खबरे डराती है......

पाकिस्तान से आती खबरे डराती है । सुबह जब टीवी खोलो तो कभी इस्लामाबाद, कभी पेशावर, कभी कराची से धमाके की खबर आती है । खबरों की दुनिया में रहते हुए पाकिस्तान के टीवी चैनलों को करीब से देखने का मोका मिला । लाख तल्खियों के बावजूद दोनों मुल्को में खबरों का अदन प्रदान होता है । खबरों की अदला बदली में वहा से खोफ, चिखोपुकर, और दर्दनाक मंज़र आता है , और यहा से हमेशा की तरह अमन सुकून ,दोस्ती और मनोरंजन की बातें ही अक्सर जाती है । हमारी मनोरंजक खबरे वह के अवाम को बड़ा सूकून पहुचती है ।
पाकिस्तान में आज चारो तरफ खोफ का माहोल है, इस खोफ से खुदा का घर (मस्जिद ) भी नहीं बच पाई है । खोफ को दूर करने के लिए मनोरंजन अहम् भूमिका निभाता है, लेकिन पाक के अधिकांश इलाको में मनोरंजन के साधनों को पेड़ो पर लटकाया जा चूका है । फिल्म कम बनती है , बम्बई जेसी कोई फ़िल्मी नगरिया भी नहीं है, ऐसे में न्यूज़ चैनल के जरिये हिंदुस्तान की मनोरंजक खबरों का ही सहारा रहता है। पाक के न्यूज़ चैनल के एक घंटे के बुलेटिन के इंटरटेनमेंट न्यूज़ में बालीवुड की खबरे भरी रहती है । सेफ करीना की कहानी, शिल्पा का निकाह ,और पा, थ्री इडियट की लॉन्चिंग जेसी हर खबर और दो चार हिंदी फिल्मो के गाने मिल ही जाते है। दिनभर के खोफ को कम करने के लिए ये बड़ा कम करते है । भले ही पाकिस्तान में भारतीय फ़िल्मों के प्रदर्शन पर प्रतिबंध है। 1965 के युद्ध के बाद सरकार ने केवल पांच वर्षों के लिए प्रतिबंध लगाया था जो आज तक भी बरक़रार है। लेकिन आज भी वहा बाजारों के फुटेज देखो तो भारतीय हिरोइनों के पोस्टर से दुकानों की दीवारे मिल जाती है , जो ये साबित करता है की आज भी लोगो में भारतीय फिल्मो के वो जूनून बरक़रार है।
बड़े दिनों बाद पाकिस्तान से एक अच्छी खबर आई । पाकिस्तानी फेशन शो , रेम्प पर बे खोफ कैटवाक करती मॉडेलस । भारतीय मिडिया ने भी इसे प्रमुखता से लिया , लेकिन ऐसी खबरे २ चार सक में खबी कभार ही आती है । यहा के गाने आज भी पाकिस्तानियो के ज़ेहन में है । बीते दिनों जब खबर के सिलसिले पाक के एक रहनुमा को फोन लगाया कालर टोंस में ऐ दिले नादान गाना बजा, सुन कर काफी अचम्भा लगा । लेकिन अहसास हुआ की सुर को सरहदों से नहीं रोका जा सकता है । आज भी काबुली वाले की धुन यहा भी लोगो के दिल में राज कर रही है , लेकिन शायद उस पश्तूनी धुन को अब वहा कोई काबुलीवाला टीले पर चढ़ कर नहीं बजाता होगा। आखिर बजाये भी तो कैसे टीले बारूद के ढेर और काबुलीवाले का घर बंकर में तब्दील हो गए है ।
इन बातो का देख सुनकर ये बात तो साफ होती है की वहा के लोगो को मनोरंजन की काफी जरुरत है । और इसके लिए पाक टीवी चैनल्स की काफी कोशिस कर रहे है। लेकिन कुछ लोग नहीं चाहते है की ये दुरी कम हो , दुरी कम होगी तो उनके चहरे दे नकाब भी हटेगा । इसी लिए धर्म के ठेकेदार बन्ने वाले धर्म के खिलाफ मनोरंजन के साधनों को बताते है। लेकिन उन मजहब के ठेकेदार उन लाखो दिलो की बात क्यों नहीं सुनते जिसमे आज भी हिन्दुस्तानी तराने गुनगुनाते है।
पड़ोस में ख़ुशी हो, ढोल बजे तो दिल को अच्छा लगता है , लेकिन जब उसी पड़ोस में आग लगी हो तो चैन की नीद नर्म बिस्तर भी नहीं दे पाते है। लाख कोशिशो के बाद भी जब पड़ोस में सुख , ख़ुशी, मनोरंजन के साधन देने बाद भी जब निराशा हाथ लगती है तो काफी दुःख होता है, दुःख और बढ़ जाता है जब ये पता चलता है की ये सब चंद लोगो की ही शाजिश है । ऐसे में संगीत और मनोरंजन का ये सिलसिला जरी रहे शयद यही दुरी को कुछ कम कर सके......

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

It,s really a sad for pakistan and bad for a good neighour India. Sukriya for this matter पाकिस्तान से आती खबरे डराती है......
Ur,
PCR

बेनामी ने कहा…

pakistan se aane bali khbre darati to jarur hai lekin somaliya or aarb ke un mulako ko khabardar bhi kar rahi hai jo aaj bhi apne mulak me dahshatgado yani militanto ko paal rahi hai ya pnaha de rahi hai. ki aaj pakistan ke sath jo ho raha hai bo kal enke sath bhi ho sakth hai