संदीप सिंह , अब तक २9 बसंत देख चुका हूँ । लड़कपन की सैतानी, माँ की कहानी और जवानी दीवानी, अपनी बेगानी की के साथ ही छात्र राजनीती की उठा पटक भरी जिंदगी ने काफी कुछ सिखाया । काफी अनुभवों से भरा रहा अब तक का ये सफर , काफी अच्छे लोग भी मिले और विकट लोगो से भी सामना हुआ । और अब डगर चुन ली है पत्रकारिता की, एक सफल पत्रकार बनने की हसरत लिए .............
माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के नॉएडा कैम्पस मे पढ़ने के साथ ही प्रतम सत्र २००६ मे अपने बह्पन के साथी सत्या के साथ हिन्दी मासिक पत्रिका की शुरूआत , पुकार प्रदेश की मासिक पत्रिका हम दोस्तो की पहली कामयाबी भी थी और हमारी लेखनी की पहली धार भी , कुछ कारणों से हल फिलहाल उसका प्रकाशन बंद है ,पर संघरश अभी जरी है .........
साफ कहना खुश रहना ... के साथ सच्चे दोस्तो की तलाश मी
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