नब्बे की दहाई मै जब श्रीप्रकाश शुक्ला जेसे अपराधियों ने मोबाइल का इस्तेमाल अपराध की दुनिए में किया तो पुलिस के सकते में आ गई .क्योकि उनका काम इतना तेज हो गया था उन्हें पकड़ना आसन नही था । बड़ी मेहनत के बाद एसटी अफ ने मोबाइल फोन को ट्रेस करना शुरू किया तो अपराधियों के साथ सब लोगो के होश उड़ गए की अचानक पुलिस को क्या होगया की सरे माफिया बड़ी जल्दी पकड़ लेती है । माफिया भी हेरान की कोन है जो हमें क्रोस कर रहा है । भाई लोग इसी मुगालते मै अपने ही कितने साथियो को उड़ते गए की कोन मुखबरी कर रहा है , आज तक कितनी ही उलझी हुई गुतियो को मोबाईल के जरिये सुलझाया जा चुका है , पर एक बार फ़िर मोबाईल फ़ोन ने पुलिस को परेशानी मै बड़ा दी है , जिसको ना तो ट्रेस किया जा सकता ही नहीं लोकेशन ना तो रिकाड रखा जा सकता है , तभी तो अपराधियों की पहली पसंद बनते जारहे है चाइनिज मोबाईल। जिस फोन ने पुलिस के सर मै दर्द पैदा किया है वो बड़े ही पैमाने पर खुले बाजारों मै बिक रहे है वो भी बड़े ही वाजिब दामो मै , तेज आवज़ , मोबाईल कम इन्टरनेट , टीवी और साथ ही कुछ भी करो कोई रिकाड नहीं ना फोन करने वाले का नहीं उतने वाले का. अब सवाल ये उठता हे की पुलिस ये जानने के बाद भी इसपर कोई कदम क्यों नहीं utaati है.
हिंदुत्व कभी हारता क्यों नहीं है !
4 माह पहले
1 टिप्पणी:
संदीप मैंने आप की मोबाइल वाली स्टोरी पढ़ी, बहुत अच्छी लगी और साथ ही एक बात यह भी समाज मै ई की ये इंडिया की पुलिस है. इसे हर बात तबी समझ आती है जब चिडिया खेत चुग जाती है .दुर्भाग्य से अपनी खुफिया तंत्र भी कुछ ऐसा ही है .हो भी क्याओ न उनके आका भी तो यही चाहते है धमाका नहीं होगा तो विपछ पर हमला केसे बोली गे . उठाते रहिये असे मुदे शायद ये जग जाये
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