लग जाए तो तीर नही तो तुक्का की तर्ज पर आज कल नॉएडा पुलिस चल रही है । उसके सरे तीर तुक्को मे बदलते जा रहे है । ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है , आरुशी हेमराज दोहरे हत्या कांड मे रोज नए कयास रोज नया कातिल . नॉएडा पुलिस की खुफिया गिरी तो देखो घटनास्थल का मुआयना किए बगेर ही कातिल की तलाश मे नेपाल घूम आई। हाला की वहा कुछ नही मिला , कयासी कातिल तो ख़ुद मापने कत्ल की नई कहानी ले आया पुलिस के लिए. फिफ क्या तबादला ,एस टी अफ की जाच,मिडिया कें सवाल , ऊपरसे डंडा आनन फानन मे नतीजा.... एक नई कहानी नया कातिल....आख़िर कब तक ...
क्यो हमारी पुलिस किसी केस गंभीरता से नही लेती है ? क्यो उसे अन्ते मे सीबीआई ,एस टी अफ ,
का सहारा लेना पड़ता है ? क्यो ख़ुद पुलिस शक के घेरे मे अति ? क्यो उस पर उंगली या उठनेलगाती है ? जाच मे लाखो फुकने के बाद भी ....
हिंदुत्व कभी हारता क्यों नहीं है !
4 माह पहले
4 टिप्पणियां:
संदीप जी
आप ठीक कह रहे हैं। हमारे देश में कानून और न्याय का यही हाल है।
सबकुछ बहुत उम्दा. लिखते रहिये. और भी अच्छा लिखे, कामना करते हैं. शुभकामनायें.
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उल्टातीर: ultateer.blogspot.com
sandeep ji apki baten se police kuch sikh jaye to acha rahta.
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